ग़ज़ा में जंग के बीच क्या सऊदी अरब और इसराइल की दोस्ती करा पाएगा अमेरिका?

ग़ज़ा में युद्ध शुरू होने से पहले मध्य पूर्व में शांति स्थापित करने के लिए मज़बूती से बात हो रही थी.

सऊदी अरब के इसराइल को मान्यता देने की तरफ़ मामला बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा था. उम्मीद थी कि जल्द एक फ़लस्तीनी राष्ट्र नक़्शे पर दिखाई देने लगेगा.

इसके बदले में अमेरिका.. सऊदी अरब को ईरान से पैदा होने वाले किसी भी ख़तरे की स्थिति में सुरक्षा की गारंटी देने की बात कर रहा था.

लेकिन 7 अक्टूबर को हमास ने इसराइल पर हमला कर दिया, जिसके बाद मध्य पूर्व में शांति बहाल करने को लेकर की जा रही सभी कोशिशों पर विराम लग गया.

ईरान.. हमास का समर्थक है और वह फ़लस्तीनियों को अपना समर्थन देने में गर्व महसूस करता है. वह इस बात को पसंद नहीं करता कि सऊदी अरब कभी भी इसराइल को मान्यता दे.

अमेरिका की कोशिश है कि वह सऊदी अरब को इसराइल के साथ संबंध सामान्य करने और इसराइली पीएम नेतन्याहू को फ़लस्तीनी राष्ट्र के निर्माण के लिए सहमत होने के लिए राज़ी कर ले.

यह बड़ा समझौता न सिर्फ मध्य पूर्व में देशों के बीच संबंधों को पूरी तरह से बदल देता बल्कि यह अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के लिए भी विदेश नीति में एक बड़ी उपलब्धि साबित होगा और इसका फ़ायदा वे आगामी राष्ट्रपति चुनावों में उठाते.

इसके बाद क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के नेतृत्व में सऊदी अपने उन महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की तरफ़ लौटता, जिन पर वह भविष्य की सोच आगे रखकर काम कर रहा है. साथ ही वे अपने देश को पर्यटन का केंद्र बनाने की तरफ़ ध्यान देते.

इसके अलावा मध्य पूर्व में इसराइल को एक शक्तिशाली सहयोगी मिलता, जो ईरान के साथ किसी भी मुश्किल स्थिति में सऊदी अरब की मदद करता.

लेकिन यह योजना अधूरी रह गई और अब इसे पूरा करने में पहले से कई अधिक चुनौतियां हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *